सौरमंडल
परिभाषा
सूर्य एवं उसके चारों ओर भ्रमण करने वाले 8 ग्रह, 172 उपग्रह, धूमकेतु, उल्काएँ एवं क्षुद्रग्रह संयुक्त रूप से सौरमंडल कहलाते हैं।
सूर्य जो कि सौरमंडल का जन्मदाता है, एक तारा है, जो ऊर्जा और प्रकाश प्रदान करता है। सूर्य की ऊर्जा का स्रोत, उसके केन्द्र में हाइड्रोजन परमाणुओं का नाभिकीय संलयन द्वारा हीलियम में बदलना है।
सूर्य की संरचना :
सूर्य का जो भाग हमें आँखों से दिखाई देता है, उसे प्रकाशमंडल (Photosphere) कहते हैं। सूर्य का वाह्यतम भाग जो केवल सूर्यग्रहण के समय दिखाई देता है, कोरोना (Corona) कहलाता कभी-कभी प्रकाशमंडल से परमाणुओं का तूफान इतनी तेजी से निकलता है कि सूर्य कीआकर्षण शक्ति को पार कर अंतरिक्ष में चला जाता है; इसे सौर ज्वाला (Solar Flares) कहते हैं।
जब यह पृथ्वी के वायुमंडल में प्रवेश करता है तो हवा के कणों से टकराकर रंगीन प्रकाश (Aurora Light) उत्पन्न करता है, जिसे उत्तरी व दक्षिणी ध्रुव पर देखा जा सकता है। उत्तरी ध्रुव पर इसे अरौरा बोरियालिस एवं दक्षिणी ध्रुव पर अरौरा आस्ट्रेलिस कहते हैं।
सौर ज्वाला जहाँ से निकलती है, वहाँ काले धब्बे से दिखाई पड़ते हैं। इन्हें ही सौर-कलंक (Sun Spots) कहते हैं। ये सूर्य के अपेक्षाकृत ठंडे भाग हैं, जिनका तापमान 1500°C होता है। सौर कलंक प्रबल चुम्बकीय विकिरण उत्सर्जित करता है, जो पृथ्वी के बेतार संचार व्यवस्था को बाधित करता है।
इनके बनने-बिगड़ने की प्रक्रिया औसतन 11 वर्षों में पूरी होती है, जिसे सौर-कलंक चक्र (Sunspot-Cycle) कहते हैं। सूर्य के कोरोना का अध्ययन एवं धरती पर इलेक्ट्रॉनिक संचार में व्यवधान पैदा करने वाली सौर-लपटों की जानकारी हासिल करने के लिए भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन ‘इसरो’ ने आदित्य- 1 उपग्रह का निर्माण किया।
इसका प्रक्षेपण वर्ष 2017-20 के दौरान किया जाएगा। आदित्य-1 उपग्रह सोलर कॅरोनोग्राफ यंत्र की मदद से सूर्य के सबसे बाह्य भाग का अध्ययन करेगा।