वट वृक्ष की चिट्ठी
वट वृक्ष की चिट्ठी
प्यारे बच्चों,
तुम शायद मुझे नहीं जानते, परंतु मैंने तुम्हें, तुम्हारे पिता जी और दादा जी को भी अपनी बूढ़ी आँखों से पैदा होते, पलते-बढ़ते और खेलते-कूदते देखा है। मैं यह चिट्ठी बहुत अपनत्व से तुम लोगों को आशीष देते हुए भेज रहा हूँ।
मैं तुम्हें बताना चाहता हूँ कि हम पेड़-पौधों में भी जीवन होता है। हम भी साँस लेते हैं। खुशी और दुख का अनुभव करते हैं। मुझे छोटे बच्चे बहुत अच्छे लगते हैं। जब वे मेरी जटाओं को पकड़कर झूला झूलते हैं, तो यह अपने नाती-पोते को गोद में खिलाने जैसी अनुभूति होती है।
तुम्हें पता है, हम सब पेड़-पौधे मिलकर वायुमंडल को शुद्ध करते हैं ताकि तुम सब स्वच्छ हवा में साँस ले सको। इसके अलावा हम बारिश बुलाकर सूखा पड़ने से रोकते हैं।
हमारी जड़ें ज़मीन को कसकर पकड़े रहती हैं जिससे ज़मीन का कटाव कम होता है तथा बाढ़ का खतरा नहीं रहता। हम अपनी अनेक गुणवान पत्तियों, छालों, फलों-फूलों से अनेक बीमारियों की दवाइयाँ बनाने में मदद देते हैं।
इन सबके बावजूद भी आज का मानव हमारे प्रति निष्ठुर होता जा रहा है। वह अपने छोटे-छोटे स्वार्थों के लिए हमें काट डालता है। मेरी तुमसे और तुम्हारे जैसे नन्हे-मुन्हे, प्यारे-प्यारे बच्चों से प्रार्थना है कि तुम हमें कटने से बचाओ। हमारी वंश-वृद्धि में सहायता करो ताकि हम मनुष्यों के जीवन को भी फूलों से महका सकें।
तुम्हारे प्यारे दादा,
वट वृक्ष