आम का पेड़
आम की खेती
आम की खेती उष्ण एव समशीतोष्ण दोनों प्रकार की जलवायु में की जाती है। आम की खेती समुद्र तल से 600 मीटर की ऊँचाई तक सफलता पूर्वक होती है इसके लिए 23.8 से 26.6 डिग्री सेंटीग्रेट तापमान अति उत्तम होता है। आम की खेती प्रत्येक किस्म की भूमि में की जा सकती है।
आम का पेड़ कितने दिन में फल देता है ?
आम के वृक्ष चार-पाँच साल की अवस्था में फलना प्रारंम्भ करते है और 12-15 साल की अवस्था में पूर्ण रूपेण प्रौढ़ हो जाती है अगर इनमे फलन काफी हद तक स्थायी हो जाती है। एक प्रौढ़ वृक्ष से 1000 से 3000 तक फल प्राप्त होते है कलमी पौधे अच्छी देख-भाल से 60-70 साल तक अच्छी तरह फलते है।
आम के पेड़ में कौन सी खाद डाले
इसके लिए यदि हम लगभग 550 ग्राम डाई अमोनियम फास्फेट (DAP), 850 ग्राम यूरिया और ग्राम म्यूरेट ऑफ पोटाश प्रति पेड़ देते हैं तो उपरोक्त पोषक तत्व की मात्रा पूरी हो जाती है. इसके साथ 20-25 किग्रा खूब अच्छी तरह से सड़ी गोबर या कम्पोस्ट खाद भी देना चाहिए.
आम का पेड़ कितने दिन में तैयार हो जाता है ?
नियमित रूप से अपने आम के पौधे को पानी दें और उर्वरक का उपयोग किफ़ायत से करें: बीज लगाने के बाद फल उत्पन्न करने में आम के पेड़ को कम से कम 4 से 5 साल लग जाते हैं ।
आम का पेड़ क्यों सूखता है ?
आम के पेड़ की तनों में पतली-पतली नसें होती हैं जो खाना बनाने में पेड़ की मदद करती है। यह पत्ती से ऑक्सीजन लेकर पेड़ को उपलब्ध कराती है। पेड़ में दीमक लगने पर, जमीन के नीचे खाना बनने के बाद पतली नसों से जो भोजन टहनियों को जाता है, वह दीमक चट कर जाते हैं। इससे पेड़ सूखने लगते हैं।
आम का पेड़ कब लगाना चाहिए ?
आम के पौधों कि रोपाई वर्षाकाल शुरू पर करनी चाहिए, पौधों के रोपण का सही समय जुलाई-अगस्त है। वर्षाकाल में लगाए पौधों के मरने का खतरा कम रहता है। रोपण की दूरी में क्षेत्र के आधार पर भिन्नता 10 मीटर गुणा 10 मीटर से 12 मीटर गुणा 12 मीटर रहती है।
आम की सबसे अच्छी नस्ल कौन सी है ?
रत्नागिरि मशहूर ‘रत्नागिरी आम’ महाराष्ट्र क्षेत्र के रत्नागिरी, देवगढ़, रायगढ़ और कोंकण में पाया जाता है और दिलचस्प बात ये है कि प्रत्येक आम का वजन 150 से 300 ग्राम के बीच होता है. ये आम भारत में पाए जाने वाले आम की सबसे अच्छी किस्मों में से एक है और सबसे महंगा भी है.
आम के पेड़ में अच्छा मंजर कैसे लाए ?
अच्छा मंजर आने के लिये मंजर आने के दो-तीन महीना पहले से ही पानी देना बन्द कर दें क्योंकि इस बीच सिंचाई करने से मंजर आना कम हो जाता है और नया पत्ता बढ़ने लगता है।