सूरज की छुट्टी ( Moral storie in Hindi ) interesting facts || brandbhai116 ||

Moral stories in Hindi

 सूरज की छुट्टी     

 

बादलों के नरम बिस्तर पर आज सूरज को बहुत तेज नींद आ रही थी। उसकी माँ तीसरी बार उसे जगाने आई थी।
सूरज, उठो बेटा, बहुत देर हो गई माँ बोली।
लेटे-लेटे ही सूरज बोला- माँ, थोड़ी देर और सोने दो ना! वैसे भी आज मैं कहीं नहीं जाऊँगा। आज मैं दिन भर घर में खेलूँगा-कूदूँगा, खाऊँगा-पीऊँगा। सब बच्चों की भी तो एक दिन की छुट्टी होती है। आज मुझे भी छुट्टी चाहिए।
माँ ने कहा, ठीक है, तुम्हें छुट्टी चाहिए, लेकिन एक बार झाँककर नीचे तो देख लो। सूरज ने बादलों की चादर मुँह से हटाकर नीचे देखा। वह दंग रह गया। 

उसने देखा कि प्यारे-प्यारे पेड़-पौधे, सुंदर फूल आदि मुरझा रहे हैं। पशु-पक्षी, तितलियाँ, मनुष्य आदि भी धूप के अभाव में बेहोश होते जा रहे हैं।
 सूरज उछलकर अपने बिस्तर से उठा और माँ से पूछा- माँ, ये सब क्या हो रहा है ?
 माँ ने बताया कि उसके न जाने से ही सबकी ये दशा हो रही है। सूरज को बहुत दुख हुआ। उसने कभी भी छुट्टी न लेने का निर्णय किया और तुरंत तैयार होकर आकाश में चमक उठा।
 उसके आते ही सारी धरती पर फिर से खुशी की लहर दौड़ गई।
इस कहानी से हमें क्या सीख मिलती है?

हमने सीखा – इस कहानी से हमने सीखा कि सूरज के कारण ही हमारी धरती पर जोवन है। कहानी में अनावश्यक छुट्टी न लेने की सीख भी मिलती है।

Comments

No comments yet. Why don’t you start the discussion?

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *