उतावली का निर्णय hindi bodh katha || bodh katha in hindi ||

उतावली का निर्णय

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एक पुजारी ने रात को सोते समय सपना देखा कि देवता ने प्रसन्न होकर मंदिर के कोठे को लड्डुओं से भर दिया। सोते-सोते ही वह सोचने लगा- इतने लड्डुओं का क्या होगा? निर्णय हुआ कि सारे गाँव को दावत दी जाए। मजा आएगा। 

भोर होते-होते नींद खुली तो वह आँखें मलता हुआ गली-कूचों में दौड़ पड़ा और घर-घर दोपहर का भोजन मंदिर में करने का निमंत्रण देता चला गया। पुजारी की प्रसन्नता का ठिकाना न था। देवता का अनुग्रह और प्रीतिभोज का गौरव, ये दो ही बातें उसके सिर पर सवार थीं। 

सपने मिथ्या भी हो सकते हैं, उतावली के निर्णय उपहास भी सूझी ही नहीं। दोपहर को सारा गाँव जमा हो गया पर खाने को कुछ भी नहीं था। मंदिर खाली था। पुजारी की भूल समझ में आई तो गाँव वालों से बोला, “आप लोग थोड़ी देर कुछ और काम कर लें। 

मैं पड़ा अभी अभी फिर से सोने का प्रयत्न करता हूँ ताकि देवता अबकी बार सचमुच ही लड्डुओं से कोठे को भर सके 

झगड़ा मूखों का

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