Bodh katha | अवसर चूकते लोग | moral stories in hindi बोध कथा

Moral stories in hindi

Bodh katha | अवसर चूकते लोग | moral stories in hindi बोध कथा 

अवसर चूकते लोग

एक था कृपण और एक थे सिद्ध पुरुष। कृपण बार-बार सिद्ध पुरुष के पास जाता और कोई बड़ी धनराशि दिलाने के लिए गिड़गिड़ाया करता। सिद्ध पुरुष को दया आ गई। उसने झोली में से निकाली पारसमणि और उसे कृपण के हाथ में पकड़ाते हुए कहा, “यह पारसमणि सात दिनों तक तुम्हारे काम आएगी। लोहे को स्पर्श कराकर जितना चाहे सोना बना लेना।” कृपण बहुत प्रसन्न हुआ। एक ही दिन में करोड़पति बनने के सपने देखने लगा। पैर जमीन पर कहाँ पड़ते? खुशी से फूला नहीं समा रहा था।

घर पहुँचने पर लोहा खरीदने की योजना बनाई। अधिक लोहा सस्ता लोहा, ये दो प्रश्न ही प्रमुख बन गए। कृपणता पूरे जोर-शोर से उभर आई। खरीद के लिए कहाँ जाया जाए, इस योजना में जुट गया।

दौड़-धूप चली। ज्यादा सस्ता व अधिक मात्रा की तलाश में एक बाजार से दूसरे में दूसरे से तीसरे में दौड़ लगाई, पर कोई सौदा पटा नहीं।

इतने में एक सप्ताह गुजर गया। होश तो तब आया, जब पारस का प्रभाव निष्फल हो गया था। पारसमणि महात्मा को लौटाते हुए कृपण की उदासी देखते ही बनती थी।

त्रिकालदर्शी महात्मा ने कहा, “मूर्ख, यह जीवन भी पारसमणि ही है। इसका तत्काल श्रेष्ठतम उपयोग करने वाले महान होते हैं वे बहुमूल्य स्वर्ण बन जाते हैं और जो लालच में निरंतर निरत रहकर अवसर को चुका देते हैं, वे तेरी ही तरह खाली हाथ और निराश फिरते हैं। “

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