Bodh katha | moral stories in hindi | बोध कथा
निरर्थक श्रम
एक व्यक्ति को कुआँ खोदना था। उस भूमि में पानी तीस फुट की गहराई पर था। उतनी ही खोजबीन आवश्यक थी। खोदने वाला उतावला था। उसने सोचा दस-दस फुट के तीन गड्ढे करके तीस फुट का गणित तीन आदमी लगाकर क्यों न पूरा कर लिया जाए। उसने तीन व्यक्ति एक-एक गड्ढा खोदने के लिए लगाए। तीनों गड्ढे दस-दस फुट के खोदे गए, पर पानी एक में भी लेशमात्र न था।
किसी जानकार से उसने इस असफलता का कारण पूछा तो उसने कहा-“एक व्यक्ति के एक कार्य को एक ही दिशा में करते रहने से सफलता मिलती है। यदि तुमने तीन गड्ढे न खोदकर एक ही जगह एक ही दिशा में खुदाई की होती, तो आसानी से कुआँ बन जाता।” उतावली में काम को खंड-खंड कर देने से श्रम निरर्थक जाता है।