हिंदी भूतिया कहानी
एक ऐसी “हवेली” की कहानी जिसमे कोई भी जाने से बहुत डरता है, इस “हवेली” की एक कहानी है, जिसमे बारे में लोग जानते है, तभी कोई नहीं जाता है, लेकिन इन सभी कहानी से अनजान रमेश अपने दोस्त के साथ उस जगह पर आया था, क्योकि उसे नहीं लगता था की जो भी बाते बताई गयी है, वह पूरी तरह से सच हो सकती है, इसलिए रमेश अपने दोस्त के साथ उस “हवेली” में गया था. रमेश ने की मुझे नहीं लगता है की यहां पर कुछ है लोग ऐसी ही बाते कहते रहते है,
रमेश का दोस्त कहता है की कुछ बातो में ऐसा भी तो हो सकता है वह सच हो, क्योकि कोई इन सभी बातो को बनाकर क्या साबित करना चाहता है, रमेश कहता है की मुझे यह बात पता नहीं है, लेकिन हम यहां पर आ गए है तो हम देख सकते है, रमेश का दोस्त कहता है की मुझे इस “हवेली” के बाहर एक बूढ़े आदमी मिले थे, उन्होंने मुझे कुछ बताया था जोकि में तुम्हे भी बताना चाहता हु रमेश कहता है की ठीक है, पहले तुम ही बता दो, रमेश का दोस्त कहता है की वह बाबा कहते है की यह “हवेली” ठीक नहीं है,
इस “हवेली” में उन्होंने कभी किसी भी भूत को नहीं देखा है, लेकिन उन्होंने इस “हवेली” के पास गुब्बारे को उड़ता हुआ देखा है, वह गुब्बारा सिर्फ उड़ता है “हवेली” के चारो और रहता है कोई भी उसे पकड़ नहीं पाता है, लेकिन उन्होंने फिर बताया की वह कहा से आता है यह बात भी कभी समझ नहीं आती है, इसलिए सभी को लगता है की उस “हवेली” में भूत रहता है, यह भूत क्या कर सकता है यह बात भी कोई नहीं जानता है बहुत साल से यह “हवेली” बंद पड़ी है, कोई भी यहां पर नहीं आता है,
रमेश को उस “हवेली” की पूरी कहानी समझ आ गयी थी, लें उस गुब्बारे की कहानी समझ नहीं आती है, यह कहा से आता है, क्यों आता है, यह “हवेली” के चारो और ही क्यों घूमता है, कुछ भी समझ नहीं आ रहा था, रमेश का दोस्त कहता है की अब भी हमे “हवेली” के अंदर जाना चाहिए या फिर जाने का विचार रहने देते है, रमेश कहता है की अब हम यहां पर आ गए है तो हमे देखना चाहिए की ऐसा क्यों होता है, रमेश ने “हवेली” के पीछे जाकर देखा था,
उन्हें एक कुआँ नज़र आता है, उस कुए के अंदर देखने पर भी कुछ नज़र नहीं आता है, क्योकि रात भी हो रही थी, हमे यहां पर रात में ही आना था जब दोनों कुए के पास खड़े थे उन्हें आवाज आती है, जैसे कोई कह रहा हो यहां से चले जाओ उन्हें यह भी लग रहा था की शायद यह आवाज कुए के अंदर से आती है लेकिन यकीन नहीं हो रहा था की कुए के अंदर कोई हो सकता है, वह फिर कुए में आवाज लगा देते है कोई अंदर है मगर कोई जवाब नहीं आता है,
वह कुए के पास से चले जाते है, अब उन्हें उस “हवेली” के अंदर जाना था, वह उस “हवेली” के अंदर जाते है सब कुछ बदल चूका था अब यह “हवेली” पहले जैसे नहीं थी, सब दीवार पर से रंग उड़ चुका था यहां पर कोई नहीं आ सकता है क्योकि यह तो अंदर से भी भूत की “हवेली” लगती है, वह दोनों उस “हवेली” के अंदर घूम रहे थे उस गुब्बारे की तलाश में थे जोकि उन्हें पता चला था, की यहां पर नज़र आता है, उन्हें बहुत देर हो गयी थी, कुछ भी नज़र नहीं आया था, वह ऊपर के कमरे में पहुंच गए थे,
रमेश का दोस्त कहता है की मुझे नहीं लग रहा है की वह गुब्बारा नज़र आने वाला है, रमेश कहता है की हम यहां पर आये है तो कुछ वक़्त के बाद चलते है, तभी उन दोनों की नज़र उस कुए पर जाती है, उस कुए से जो भी आवाज आ रही थी, उससे लगता था, की कोई उसमे रहता है मगर उस कुए से एक गुब्बारा निकलता हुआ नज़र आता है, यह देखकर वह दोनों अब थोड़ा डर जाते है आज उन्होंने देख लिया था की वह गुब्बारा किस जगह से निकल रहा था,
वह दोनों इस बात को समझ रहे थे की उस कुए में जरूर कोई है जोकि गुब्बारा बाहर छोड़ देता है जिसे देखकर सभी लोग डर जाते है, वह दोनों अब इतना समझ गए थे की इस “हवेली” में कुछ नहीं है बल्कि इस कुए में ही कुछ है, जिससे सभी लोग डरे हुए है, वह उस गुब्बारे को देख रहे थे वह उनकी और आ रहा था, रमेश कहता है की हमे जाने की जरूरत नहीं है जब तक हमे पता नहीं चलता है की यह गुब्बारा क्यों हमारे पास आ रहा है, लेकिन रमेश का दोस्त कहता है की यह जरुरी नहीं की हमे यह सब पता करना चाहिए
वह गुब्बारा आ जाता है, उसके बाद एक परछायी बनती है जिसके हाथ में वह गुब्बारा है, वह एक छोटा बच्चा है, अब यह डरने की बात थी, क्योकि उन्हें समझ आ गया था, की यहां पर भूत है, यह सभी को डरा भी रहा था, वह दोनों उसकी कोई मदद नहीं कर सकते थे क्योकि रमेश कहता है की अब यहां से चलना चाहिए वह उस “हवेली” की कुछ हद तक बात को समझ गए थे, वह दोनों उस “हवेली” से बाहर आ गए थे वह गुब्बारा उड़ता हुआ “हवेली” के ऊपर तक चला गया था,
रमेश जिस बात का पता लगाना चाहते थे उसमे से कुछ बताए ही पता चल पायी थी, लेकिन अब वह इस बात को जानते थे की वह गुब्बारा किस जगह से आया था उसे कौन ले रहा था, अब वह यह बात किसी को भी कहना नहीं चाहते थे क्योकि उन्हें लगता था की कुछ बातो को पता होना जरुरी भी नहीं है, इसके पीछे क्या सच्चाई थी, उन्हें नहीं पता था, मगर वह अब उदास लग रहे थे सोच रहे थे की ऐसा क्या हुआ होगा, जोकि उन्हें नहीं पता था, वह घर तो आ गए थे मगर वह बात उनके दिमाग में घूम रही थी,
उस “हवेली” की पूरी कहानी कोई नहीं जानता था, जितना लोग जानते थे उन्हें बता दिया गया था मगर शायद वह भी और कुछ जानना चाहते थे मगर उन्हें कुछ पता नहीं चल पाया था, रमेश ने सोचा की हमे उस जगह पर फिर से जाना चाहिए लेकिन वह सिर्फ सोचते ही रह गए थे उस जगह पर दुबारा नहीं जा पाए थे, जीवन में कुछ बातो का रहस्य कभी भी पता नहीं चलता है वह तो सिर्फ कहानी, Ghost stories in hindi बनकर ही रह जाती है,,